आधुनिक खेती के लिए बैटरी स्प्रेयर का महत्व – किसानों के लिए फायदे और सही उपयोग

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PKV-2 |
PKV-2 चना एक प्रमुख चने की जाति है जो कि महाराष्ट्र कृषि विद्यापीठ (Maharashtra Krishi Vidyapeeth) द्वारा विकसित की गई है। यह चना विशेष रूप से उत्तम उत्पादकता, बीमारी प्रतिरोधकता, और मानव एवं पशु पोषण के दृष्टिकोण से प्रसिद्ध है।
PKV-2 चना का विशेषतः यह लाभ होता है कि यह विभिन्न क्षेत्रों में उच्च उत्पादकता और अच्छी गुणवत्ता वाले दानों को प्रदान करता है। इसका पोषणीय मूल्य भी उच्च होता है जो पशुओं के लिए भी उत्तम होता है।
यह चना सामान्यतः फसलों में मानसून के दौरान बोया जाता है और उत्तर भारत के अनुकूल मौसम वाले क्षेत्रों में अच्छे रूप से विकसित होता है।
PKV-2 चना का पोषणीय मूल्य और उच्च उत्पादकता उसे एक विशेष चने की जाति बनाता है जो कि किसानों के लिए लाभकारी हो सकती है।
रबी सीजन में बोने का समय उत्तम निर्धारित किया गया है.!
चने कि यह जल्दी पकने वाली किस्म है, इसकी अवधि 95 से 115 दिन तक की होती है.!
वर्षा की कमी में या केवल एक सिंचाई देने पर भी सूखे की स्थिति होने पर भी यह किस्म उत्तम परिणाम देने में सक्षम है.!
इस किस्म में लाइन से लाइन की दूरी 18 इंच (45 X 10 सेंटीमीटर) रखने व बीज दर से 25 से 30 किलो एकड़ रखने तथा एक से दो खिंचाई देने पर भी आदर्श परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं
इस किस्म का अपनी अधिकतम उत्पादन क्षमता व सूखा निरोधक किस्म होने व जल्दी आने के गुणों के कारण एक विशिष्ट स्थान है व पैदावार 14 क्विंटल प्रति एकड़ तक हो सकती है
इस किस्म के पौधे की ऊंचाई लगभग 56 सेंटीमीटर, अधिक फैलाव वाली किस्म व फूलों का रंग सफेद, दानो का आकार बोल्ड होता है
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